My name is Jayesh Modi and I will provide here knowledge of std 9 and std 10 teachings for Gujarat' student, motivational quotes, pranic healing, Hindi, Gujarati, osho, Jiddu Krishnamurthy, buddha teaching, forgiveness prayer, meditation on twin hearts,gseb.org,teacher,results, students homework status,lessions

Jayesh Modi

live a life with purpose and joyfully

Jayesh Modi

During teaching

Friday, December 30, 2016

रूमी की कविता

रूमी की कविता...
...........................
'जैसे ही मैंने अपनी पहली प्रेम कहानी सुनी,

मैंने तुम्हें ढूंढना शुरू कर दिया,

बिना यह जाने कि वह खोज कितनी अंधी थी

प्रेमियों का कहीं मिलन नहीं होता

वे तो हमेशा एक-दूसरे के भीतर होते हैं।'

 

'आपका काम प्रेम को खोजना नहीं है

आपका काम है अपने भीतर के उन तमाम रुकावटों का पता लगाना

जो आपने इसके रास्ते में खड़ी कर रखी हैं।'

 

'अपनी चतुराई को बेच दो और हैरानी खरीद लो।'

'सुरक्षा को भूल जाओ,

वहां रहो, जहां रहने में आपको डर लगता है,

अपनी प्रतिष्ठा को मिटा दो,

बदनाम हो जाओ।'

 

'दूसरों के साथ क्या हुआ,

इन कहानियों से संतुष्ट मत हो जाओ।

अपने भ्रम को खुद ही दूर करो।'

 

'मौन ही ईश्वर की भाषा है,

बाकी सब तो उसका एक बेकार सा अनुवाद है।'

 

'जो भी आए, उसका आभार मानो क्योंकि हर किसी को एक मार्गदर्शक के रूप में भेजा गया है।'

 

'अपनी आंखों को शुद्ध करो और इस निर्मल दुनिया को देखो। आपका जीवन कांतिमान हो जाएगा।'

 

'आपका जन्म पंखों के साथ हुआ है, फिर जीवन भर रेंगने की क्या जरूरत!'

'खटखटाओ और वह दरवाजा खोल देगा,

मिट जाओ, वह आपको इतना चमकदार बना देगा जैसे सूर्य,

गिर जाओ, वह आपको स्वर्ग तक उठा देगा,

तुच्छ हो जाओ, वह आपको सब कुछ बना देगा।'

 

'आप समंदर में एक बूंद की तरह नहीं हो, आप तो एक बूंद में पूरे समंदर हो।

 

पिघलते हुए बर्फ की तरह बनो,

खुद को खुद से ही धोते रहो।'


 
www.jayeshmodi.com
   
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नोबेल पुरस्कार विजेता स्पेनिश कवि पाब्लो नेरुदा की कविता "You Start Dying Slowly" का हिन्दी अनुवाद...

🌿 *आप धीरे धीरे मरने लगते हैं,  अगर...*🌿
.
.नोबेल पुरस्कार विजेता स्पेनिश कवि पाब्लो नेरुदा की कविता  "You  Start  Dying  Slowly" का हिन्दी अनुवाद...

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं,
अगर आप करते नहीं कोई यात्रा,
अगर आप पढ़ते नहीं कोई किताब,
अगर आप सुनते नहीं जीवन की ध्वनियाँ,
अगर आप करते नहीं किसी की तारीफ़, 

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं,
जब आप मार डालते हैं अपना स्वाभिमान,
जब आप नहीं करने देते मदद अपनी,
न करते हैं मदद दूसरों की,

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं,
अगर आप बन जाते हैं गुलाम अपनी आदतों के, 
चलते हैं रोज़ उन्हीं रोज़ वाले रास्तों पे,
अगर आप नहीं बदलते हैं अपना दैनिक नियम व्यवहार ,
अगर आप नहीं पहनते हैं अलग अलग रंग, 
या आप नहीं बात करते उनसे जो हैं अजनबी अनजान, 

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं,
अगर आप नहीं महसूस करना चाहते आवेगों को,
और उनसे जुड़ी अशांत भावनाओं को,
वे जिनसे नम होती हों आपकी आँखें,
और करती हों तेज़ आपकी धड़कनों को,

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं,
अगर आप नहीं बदल सकते हों अपनी ज़िन्दगी को,
जब हों आप असंतुष्ट अपने काम  और परिणाम से,
अगर आप अनिश्चित के लिए नहीं छोड़ सकते हों निश्चित को,
अगर आप नहीं करते हों पीछा किसी स्वप्न का,
अगर आप नहीं देते हों इजाज़त खुद को, 
अपने जीवन में कम से कम एक बार किसी समझदार सलाह से दूर भाग जाने की..

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं....

इस सुन्दर कविता के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता स्पेनिश कवि पाब्लो नेरुदा का बहुत बहुत धन्यवाद. 😊😊
🙏 🙏

- Jayesh Modi☺ जयेश मोदी
  ( www.jayeshmodi.com )

   
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Monday, December 19, 2016

गीतासार

गीता में दिए गए 16 शक्तिशाली उद्धरण पूरी तरह से आपका दृष्टिकोण बदल देंगे।

 आपका जीवन को देखने का नजरिया बदल जाएगा

1. दूसरों के बारे में सोचने से बेहतर है आप अपना काम करें। 

 दूसरा इंसान क्या काम कर रहा है इस विषय पर सोचने की बजाय आप अपना काम कैसे बेहतर कर सकते हैं, इस पर बल दें। 

दूसरा जो काम कर रहा है वो उसके कर्म हैं, पाप नहीं है। आप अपने कर्म करें।

2. नरक में जानें के तीन रास्ते हैं लालच, गुस्सा और हवस l

3. कर्म करो  , फल की इच्छा न करें क्योंकि कर्म हमेशा फल से अच्छा ही होता है।

4. क्या हुआ था? 

क्या हो रहा है? 

क्या होगा? 

आप कभी भी अपने बीते हुए कल को ठीक नहीं कर सकते ....

और आने वाले भविष्य को कभी देख नहीं सकते। 

केवल चिन्ताएं कर सकते हैं।

 वर्तमान में क्या हो रहा है , उस पर ध्यान दें भविष्य में नहीं,  वर्तमान में जिएं।

5.  जो आपके जीवन में हो रहा है आप उसे नहीं बदल सकते।

 जीवन और मृत्यु के बीच में जो अंतर है उसे आंका नहीं जा सकता।

 मौत और जीवन के बीच में थोड़ा ही फर्क है। बस एक सोच है ये दोनों और इसे हम भोगते हैं।

 आपका मन बहुत छोटा भी है और बड़ा भी है उसी के द्वारा ही विचार उत्पन्न होते हैं। 

सार बस ये है कि सब कुछ आपका है और आप सब के हो।

6. यह शरीर आपका नहीं है और न ही आप शरीर के हो। 

यह शरीर पंच तत्व का है इसी से ही बना है इसमें ही समा जाएगा।


 आत्मा आपकी है l  विचार करो, आप कौन हो ?

7. डरो मत!   यह मत सोचो क्या हुआ था? क्या हो रहा है? क्या होगा? असलियत क्या है? सच्चाई कभी नहीं मरती।

8. आदमी अपने विश्वास से बनता है l विश्वास है  , तो आप हो।

9. क्रोध सारी समस्याओं की जड़ है। मन हमेशा इर्ष्या और चिन्ता से भरा रहता है।

 जो आपके विचार हैं वो आपके दिल और दिमाग को व्यग्र कर देते हैं। 

आप तभी शांत हो सकते हो जब इन विचारों को अपने दिमाग से निकाल कर नष्ट कर दो।

10. अपने काम के प्रति अपने व्यवहार को सुनिश्चित रखें।

 आपको किससे संतुष्टि होती है। अपने काम को ईमानदारी से करें यही खुशी का रहस्य है।

11. यह दुनिया आपकी नहीं है न ही आप इस दुनियां के हो l फिर अपनी खुशियों को दूसरों में क्यों दूंढ रहे हो?

12. हमेशा सच्चाई बोलिए तो आपको लाभ होगा l किसी को दुख देने वाली वाणी का त्याग करें।

13. संसार के सभी पदार्थों का अव्यक्त से आरंभ होता है। 

जो विचार हमारे भीतर आते हैं उन्हें यह अव्यक्त अपने काबू में करके नाश कर देती है। तो फिर हमें क्या अवश्यकता है कुछ अधिक विचार करने की।

14. खुशी से जीना हो तो अपनी इच्छाओं का नाश कर दो।

15. कर्म आपकी काबलियत को दर्शाते हैं।

16. खुशी आपके अंदर है l यह हमारे दिमाग की एक सोच है l यह बाहरी दुनिया में नहीं मिलेगी।



🙏🙏🙏🙏

- Jayesh  ☺
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कर्म भोग

*☀  कर्म भोग  ☀*
➖➖-➖-➖➖

🔷  पूर्व जन्मों के कर्मों से ही हमें इस जन्म में माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नि, प्रेमी-प्रेमिका, मित्र-शत्रु, सगे-सम्बन्धी इत्यादि संसार के जितने भी रिश्ते नाते हैं, सब मिलते हैं । क्योंकि इन सबको हमें या तो कुछ देना होता है या इनसे कुछ लेना होता है ।

♦ *सन्तान के रुप में कौन आता है ?*

🔷  वेसे ही सन्तान के रुप में हमारा कोई पूर्वजन्म का 'सम्बन्धी' ही आकर जन्म लेता है । जिसे शास्त्रों में चार प्रकार से बताया गया है --

🔷  *ऋणानुबन्ध  :* पूर्व जन्म का कोई ऐसा जीव जिससे आपने ऋण लिया हो या उसका किसी भी प्रकार से धन नष्ट किया हो, वह आपके घर में सन्तान बनकर जन्म लेगा और आपका धन बीमारी में या व्यर्थ के कार्यों में तब तक नष्ट करेगा, जब तक उसका हिसाब पूरा ना हो जाये ।

🔷  *शत्रु पुत्र  :* पूर्व जन्म का कोई दुश्मन आपसे बदला लेने के लिये आपके घर में सन्तान बनकर आयेगा और बड़ा होने पर माता-पिता से मारपीट, झगड़ा या उन्हें सारी जिन्दगी किसी भी प्रकार से सताता ही रहेगा । हमेशा कड़वा बोलकर उनकी बेइज्जती करेगा व उन्हें दुःखी रखकर खुश होगा ।

🔷  *उदासीन पुत्र  :* इस प्रकार की सन्तान ना तो माता-पिता की सेवा करती है और ना ही कोई सुख देती है । बस, उनको उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ देती है । विवाह होने पर यह माता-पिता से अलग हो जाते हैं ।

🔷  *सेवक पुत्र  :* पूर्व जन्म में यदि आपने किसी की खूब सेवा की है तो वह अपनी की हुई सेवा का ऋण उतारने के लिए आपका पुत्र या पुत्री बनकर आता है और आपकी सेवा करता है । जो  बोया है, वही तो काटोगे । अपने माँ-बाप की सेवा की है तो ही आपकी औलाद बुढ़ापे में आपकी सेवा करेगी, वर्ना कोई पानी पिलाने वाला भी पास नहीं होगा ।

🔷  आप यह ना समझें कि यह सब बातें केवल मनुष्य पर ही लागू होती हैं । इन चार प्रकार में कोई सा भी जीव आ सकता है । जैसे आपने किसी गाय कि निःस्वार्थ भाव से सेवा की है तो वह भी पुत्र या पुत्री बनकर आ सकती है । यदि आपने गाय को स्वार्थ वश पालकर उसको दूध देना बन्द करने के पश्चात घर से निकाल दिया तो वह ऋणानुबन्ध पुत्र या पुत्री बनकर जन्म लेगी । यदि आपने किसी निरपराध जीव को सताया है तो वह आपके जीवन में शत्रु बनकर आयेगा और आपसे बदला लेगा ।

🔷  इसलिये जीवन में कभी किसी का बुरा ना करें । क्योंकि प्रकृति का नियम है कि आप जो भी करोगे, उसे वह आपको इस जन्म में या अगले जन्म में सौ गुना वापिस करके देगी । यदि आपने किसी को एक रुपया दिया है तो समझो आपके खाते में सौ रुपये जमा हो गये हैं । यदि आपने किसी का एक रुपया छीना है तो समझो आपकी जमा राशि से सौ रुपये निकल गये । 

🔷  ज़रा सोचिये, "आप कौन सा धन साथ लेकर आये थे और कितना साथ लेकर जाओगे ? जो चले गये, वो कितना सोना-चाँदी साथ ले गये ? मरने पर जो सोना-चाँदी, धन-दौलत बैंक में पड़ा रह गया, समझो वो व्यर्थ ही कमाया । औलाद अगर अच्छी और लायक है तो उसके लिए कुछ भी छोड़कर जाने की जरुरत नहीं है, खुद ही खा-कमा लेगी और औलाद अगर बिगड़ी या नालायक है तो उसके लिए जितना मर्ज़ी धन छोड़कर जाओ, वह चंद दिनों में सब बरबाद करके ही चैन लेगी ।"

🔶  मैं, मेरा, तेरा और सारा धन यहीं का यहीं धरा रह जायेगा, कुछ भी साथ नहीं जायेगा । साथ यदि कुछ जायेगा भी तो सिर्फ *नेकियाँ* ही साथ जायेंगी । इसलिए जितना हो सके *नेकी* कर, *सतकर्म* कर ।

श्रीमद्भभगवतगीता
- Jayesh  ☺
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Tuesday, December 13, 2016

Prana for life

*प्राण*

मन और शरीर के बीच में जो सेतु है, वह प्राण काया का है। इन दोनों को जोड़ने वाला जो सेतु है वह प्राण का है। इसलिए श्वास बंद हो गई, शरीर यहीं पड़ा रह जाता है, मनोमय कोष नई यात्रा पर निकल जाता है।


मृत्यु में स्थूल देह नष्ट होती है, मनोदेह नष्ट नहीं होती। मनोदेह तो केवल समाधिस्थ व्यक्ति की नष्ट होती है। जब एक आदमी मरता है तो उसका मन नहीं मरता, सिर्फ शरीर मरता है; और वह मन नई यात्रा पर निकल जाता है सब पुराने संस्कारों को साथ लिए। वह मन फिर नये शरीर को उसी तरह ग्रहण कर लेता है और करीब-करीब पुरानी शक्ल के ही ढांचे पर फिर से निर्माण कर लेता है–फिर खोज लेता है नया शरीर, फिर नये गर्भ को धारण कर लेता है।



इन दोनों के बीच में जो जोड़ है वह प्राण का है। इसलिए आदमी बेहोश हो जाए, तो भी हम नहीं कहते, मर गया, बिलकुल कोमा में पड़ जाए, महीनों पड़ा रहे, तो भी हम नहीं कहते कि मर गया, लेकिन श्वास बंद हो जाए तो हम कहते हैं, मर गया, क्योंकि श्वास के साथ ही शरीर और मन का संबंध टूट जाता है।



और यह भी ध्यान रखें कि श्वास के साथ ही शरीर और मन का संबंध प्रतिपल परिवर्तित होता है। जब आप क्रोध में होते हैं तब श्वास की लय बदल जाती है.. तत्काल, जब आप कामवासना से भरते हैं तो श्वास की लय बदल जाती है… तत्काल; जब आप शांत होते हैं तो श्वास की लय बदल जाती है… तत्काल। अगर मन अशांत है तो भी श्वास की लय बदल जाती है, अगर शरीर बेचैन है तो भी श्वास की लय बदल जाती है। श्वास का जो रिदम है वह पूरे समय परिवर्तित होता रहता है, क्योंकि इधर शरीर बदला तो, उधर मन बदला तो। इसलिए जो लोग श्वास की रिदम को, श्वास की लयबद्धता को ठीक से समझ लेते हैं, वे मन और शरीर की बड़ी गहरी मालकियत को उपलब्ध हो उपनिषद 


ओशो 

- Jayesh  ☺
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*WALKING MEDITATION*

🚶🏻 *चलत ध्यान* 🚶🏻🤗
*WALKING MEDITATION* 

*डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन,  आर्थराइटिस, अनिंद्रा, चमड़ी के रोग, कब्ज़, मोटापा, महिलाओं के रोग, अपच, गैस, पथरी आदि में लाभकारी।* 

✨ *नमस्ते!* ✨

हमारा शरीर ईश्वर की अद्भुत रचना है। उसे स्वस्थ बनाए रखना हमारा फ़र्ज़ है। 
आजकल सुविधाएं बढ़ गई है  ऐशोआराम बढ़ गए है परिश्रम(sweating) नहीं हो  रहा।
*यह मुख्य  कारन है रोग, दुःख, चिंता, असफलता का।* 
अधिकतर रोग मनोदैहिक (Psychosomatic) होते है। अगर शरीर और मन का तालमेल बिठा ले तो रोग दुःख आदि चुटकियों में दूर हो सकते है।
ऐसी ही एक वॉकिंग मेडिटेशन की *रामबाण* विधि प्रस्तुत है। ★ *इस से जो लाभ होते हे वोह किसी भी योग या कसरत से नहीं होते।* 

🚶🏻 *विधी* 🚶🏻

■शुभारंभ करने के लिए कोई भी समय ठीक है। वैसे सूर्योदय से पेहले का समय उत्तम है।🌞
■आरामदायक जूते और वस्त्र पहने।
■हो सके तो प्राकृतिक जगह को चुने। 
■जब शुरुआत करे तब गहरी साँस के साथ मुस्कुराए और परमात्मा इष्ट के दिव्य स्वरूप का स्मरण करें। 🤗
■ *मुख बंद रखकर मुस्कुराते हुए सात कदम तक साँस भरते जाए और शरीर का ध्यान करें।*
■सांसो को धीमा रखे।
■साँस लेते हुए भाव करें की *दिव्य शक्ति शरीर में प्रवेश कर रही है।* 😇
■अब मुख बंद रखे हुए साँस को छोड़ना शुरू करे।
■ *सांसो को सात (7) कदम तक धीमे धीमे छोड़ते रहे और भाव करे की शरीर- मन के सारे रोग, दुःख, नकारात्मक ऊर्जा दोनों पैरों से बाहर निकल रही है।* 
■ *ॐ नमः शिवाय मंत्र पांच बीजाक्षर से बना है। जो अनुक्रम से शरीर के पृथ्वी जल अग्नि वायु आकाश तत्व को शुद्ध करता है। इस दिव्य मंत्र को सांसो के साथ सम्मिलित करें तो लाभ बढ़ जाएगा।* 
■मोबाइल कभी भी साथ ना रखें। बातचीत ना करें। रोनी या मायूस सूरत ना रखे।
■15 मिनट  से शुरू कर के 60 मिनट तक चलें।
■60 मिनट में 5 किमी का अंतर तय हो तो उत्तम।
■ *घर पर आने के तुरंत बाद सवासन में लेट जाए।इस अवस्था में आँखे बंद कर के गहरी सांसो के साथ शरीर का ध्यान 30 मिनट तक करें।* 
◆◆ *अपने शरीर को मंदिर के समान ऊर्जावान और पवित्र बनाए रखे।*

🚫 *चेतावनी* 🚫
*वॉकिंग मशीन, ट्रेड मिल,  वॉकर, वाइब्रेटर वगेरा  ऊर्जा (Aura) को हानि पहुंचाते है। रोग पैदा करते है। इसका उपयोग ना करें

कल्याण हो।
धर्म की जय हो।
अधर्म का नाश हो।

-स्वामी मिलन🌿
*योग गुरु, हीलिंग मास्टर*
ANANDAM yog science foundation
JUNAGADH Gujarat

इस विधि से 100% परिणाम मिले है। जनहित में आगे फॉरवर्ड करें। Please share maximum.📢

- Jayesh  ☺
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Wednesday, December 7, 2016

5 Steps towards Prosperity and Abundance

5 Steps towards Prosperity and Abundance

Cherish the Moment

Just as Master Choa Kok Sui has explained, prosperity is a type of energy and therefore it follows the principles of energy such as attraction and repulsion.

To achieve a higher degree of prosperity and abundance therefore, there should be enough prosperity energy in you. Inner sciences in fact propose techniques and practices that enable people attract and store prosperity energy and thereby become more prosperous in the physical world. There is a saying that what you plant in the inner world, you will harvest in the physical world.

"Use the Spiritual Approach. When you change the Inner World, you change the physical world."

Master Choa Kok Sui

Following this principle, there are techniques that can help us plant the right seeds and enjoy the fruits.

1. Cleansing

Before we plant any new seed, we must remove the weeds first!

In Pranic Healing that is science dealing with improving the physical and psychological health, cleansing refers to the technique of removing negative energies, thoughts and emotions, before energizing the body with fresh Prana (the life force that keeps the body alive and healthy).

The same approach can be used to attract prosperity!

Before using techniques such as visualization and affirmation to attract what you want, you first need to remove your inner obstacles that prevent you from achieving your goal.

"External obstacles are nothing compared to internal obstacles. Your greatest limitation comes from within, not from without!"

Master Choa Kok Sui

These internal obstacles include, self-defeating thoughts and emotions, negative thoughts and attitudes about money and success, as well as envious thoughts and seeds of stealing.

"Remove your Inner Obstacles, then go for your Target."

Master Choa Kok Sui

To remove such negative thoughts, attitudes and tendencies techniques such as Pranic Psychotherapy make wonders. Pranic Psychotherapy is basically the application of Pranic Healing dealing with mind and emotions.

There are other techniques such as the Blue Triangle technique, the Whiteboard technique and the Ritual of Sacrifice that can help you purify your system from negative thoughts and emotions that prevent you from achieving prosperity and success that will be discussed in Arhatic Yoga.

2. Energizing

Once the system is clean from self-defeating thoughts and obstructing energies, you can start energizing your system with the energies of prosperity and abundance.

You need to build a positive attitude towards life, positive attitude towards money and a good self image. Visualization techniques in this case can help you create strong positive thought forms.

Affirmations also work well in this case to help you create a positive attitude towards you and your life. Besides such techniques,Kriyashakti, known as the science of materialization, which is one of the most effective technologies dealing with success and abundance can help you reach your goals and your target.

"Kriyashakti is manifesting your objective through Thought Power… Magic is the Science of Manifestation using Divine Laws."

Master Choa Kok Sui

3. Support the Cleansing and Energizing with Good Karma

You may be doing cleansing and energizing techniques to the letter, but unless you are entitled you will not get what you want.

"Unless your Karma is worked out, you cannot progress."

Master Choa Kok Sui

You can neutralize your negative karma and create positive karma by applying the Golden Rule. The Golden Rule states that you need to do to others what you want others to do unto you and you should not do to others the things you do not wants others to do unto your!

Following the Golden Rule therefore to attract money, you should give away money! Giving tithing and donation to people in need and charitable organizations in a regular basis will make sure that money flows to you throughout your life.

Another way of creating more positive karma of prosperity is by helping other people to get rich and prosperous by guiding them in the path, helping them to find a proper job and become good in what they do.

"Without Tithing there is less abundance and less Spiritual Growth. You must give in proportion to what you want to receive."

Master Choa Kok Sui

While you are creating more positive karma of prosperity through giving and sharing, you also need to avoid creating negative karma of poverty by abstaining from stealing and sending envious thoughts to others.

4. Save

As you cleanse your system from negative thoughts and attitudes and energize yourself with positive thoughts of prosperity and abundance and you start creating more positive karma, money starts coming to you in abundance.

But be careful not to use all the money immediately!

Don't make the mistake of buying expensive houses, cars and properties that leave you with greater debt, making it difficult to tithe and donate further!

Save and invest! Stick to your principles and live on a budget.

"Avoid a big overhead or excessive expenses. Avoid financial risks! Ask yourself, If something goes wrong, can I handle the risk?… Knowing how to budget is very important."

Master Choa Kok Sui

Go for your needs rather than your wants.

When you get more prosperous, it is very tempting to spend more on unnecessary items. Before you buy, think twice and use your will to control your emotions and desires.

5.Invest

Investing gives you higher opportunities to gain more.

Positive Karma and the energies of prosperity need outlets to reach to you. Think about it, even if you are entitled to win the lottery and you have lots of prosperity karma, unless you buy a ticket, you cannot win! Money needs avenues to come to you.

"If you do not save and invest, there are fewer channels for your Good Karma to manifest."

Master Choa Kok Sui

By investing in various businesses and areas you increase your chances of getting rich. But before you make an investment think and analyze the business, consult with the right people and make a right decision.

Follow the above four steps to prepare your system to attract more prosperity and then increase your outlets and chances through good investments and you will get rich.

ReferencesThe Chakras and Their Functions. Institute for Inner Studies Publishing Foundation.Achieve the Impossible, The Golden Lotus Sutras on Business Management. Institute for Inner Studies Publishing Foundation.Pranic Psychotherapy. World Pranic Healing Foundation.

Posted byPranaWorld

December 10, 2013

- Jayesh  ☺
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Sunday, December 4, 2016

Master's mission

My teacher's mission

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ચિત્ર

પદાર્થચિત્ર ડોલ, તપેલી, ગ્લાસ દરેક વિદ્યાર્થીએ આ ચિત્ર દોરવું. ડાઉનલોડ

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