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Jayesh Modi

live a life with purpose and joyfully

Jayesh Modi

During teaching

Wednesday, April 26, 2017

How to get Vitamin B12 ?

शाकाहारी तरीके से घर पर विटामिन B-12 बनाने की विधि

B¹²


➡एक कटोरी पके हुए चावल लै (Take a bowl of cooked or boiled rice).
➡ चावलों को ठंडा होने दें।
➡ ठंडा होने पर इन चावलों को एक कटोरी दही में अच्छी तरह mix कर दें।
➡ इन mix किये चावलों को रात भर या कम से कम 3-4 घण्टों के लिए fridge में या किसी ठंडी जगह पर रख दें।
➡ बस प्रचुर मात्रा में विटामिन B-12 युक्त 'Fermented Curd-Rice ' खाने के लिए तैयार हैं।
➡ Fermentation की वजह से Vitamin B-12 के अलावा इसमें अन्य B-Complex विटामिन भी पैदा हो जाते हैं।
➡ दही में Lactobacillus नामक Bacteria मौजूद होता है। यह हमारा मित्र bacteria है। यह bacteria जब चावलों के ऊपर action करता है तो B-Complex vitamins पैदा होते हैं और इस विधी को Fermentation कहते हैं।
➡ इन fermented Curd-Rice को और अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए इनमें इमली की चटनी मिला कर भी खा सकते हैं। चटनी मिलाने पर यह इतने अधिक स्वादिष्ट हो जाते हैं कि बच्चे भी इन्हें दही -भल्लों की चाट की तरह बड़े चाव से खाते खा जाते हैं।
➡ इस विधी से बने Fermented food को pre- digested food भी कहते हैं क्योंकि friendly bacteria के action से यह आधे हजम तो पहले ही हो जाते हैं।
➡ यह इतने अधिक सुपाच्य होते हैं कि जिसको कुछ भी हजम न होता हो उसे भी हजम हो जाते हैं।
➡ पेट की लगभग हर बिमारी का रामबाण इलाज हैं fermented Curd-Rice.
➡ जिन्हें कुछ भी हजम न होता हो या जिनमें विटामिन B-12 की बहुत अधिक कमी हो वह प्रतिदिन तीनों समय भी इन्हें खा सकते हैं। एक महीने में ही अच्छे परिणाम सामने आएंगे।
➡ दही में चावल की बजाये रोटी से भी Fermentation कर सकते हैं। बस चावल की बजाये दही में रोटी डालकर fridge में कम से कम 3-4 घंटों के लिए रखना है , बाकी विधी वही है।
🍁राजीव जैन 
      अध्यक्ष 
बाल सेवा समिति भीलवाड़ा
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Sunday, April 23, 2017

ALSI

*अलसी(जवस) एक  चमत्कारी औषधी*
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀
  
विविध नाम :-
अलसी, फ्लेक्स सीड्स, लिन सिड्स वगैरा उसके नाम हैं।

💥 दोस्तो अलसी से सभी 
 परिचित होंगे लेकिन उसके चमत्कारी फायदे से बहुत ही कम लोग जानते हैं।
💥 मै डाक्टर वंदना चौहानआज अलसी के फायदे जो बता रही हूॅ उनसे आप जरुर रोग मुक्त हो जायेगें।

☘ अलसी शरीर को स्वस्थ रखती है व आयु बढ़ाती है। अलसी में 23 प्रतिशत ओमेगा-3 फेटी एसिड, 20 प्रतिशत प्रोटीन, 27 प्रतिशत फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि होते हैं।

💥  अलसी में रेशे भरपूर 27% पर शर्करा 1.8% यानी नगण्य होती है। इसलिए यह शून्य-शर्करा आहार कहलाती है और मधुमेह रोगियों के लिए आदर्श आहार है।

💥 *ब्लड शुगर* 💥
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☘ अगर किसीको ब्लड शुगर, (डायाबिटिज) की तकलीफ है तो आपके लिये अलसी किसी वरदान से कम नहीं है।

👉 सुबह खाली पेट २ चमच अलसी लेकर, २ ग्लास पानी मे उबालै जब आधा पानी बचे तब छानकर पियें।

☘ *थाईराईड*  ☘
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👉 सुबह खाली पेट २ चमच अलसी लेकर २ ग्लास पानी में उबालै जब आधा पानी बचे तब छानकर पियें।

👉 यह दोनो प्रकार के थाईराईड मे बढिया काम करती है।

☘ *हार्ट ब्लोकेज* ☘
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👉 ३ महिना अलसी का काढा उपर बताई गई विधि के अनुसार करने से आपको ऐन्जियोप्लास्टि कराने की जरुरत नहीं पडती।

☘ *लकवा, पैरालिसीस* ☘
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👉 पेरालिसीस होने पर ऊपर बताई गई विधि से काढा पीने से लकवा ठीक हो जाता है।

☘ बालों का गिरना ☘
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👉 अलसी को आधा चमच रोज सुबह खाली पेट सेवन करने से बाल गिरने बंद हो जाते हैं।

   ☘ *जोडो का ददँ* ☘
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अलसी का काढा पीने से जोडो का दर्द दूर हो जाता है। साईटिका, नस का दबना वगैरा मे लाभकारी।

☘ *अतिरिक्त वजन*  ☘
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👉 अलसी का काढा पीने से शरीर का अतिरिक्त मेद दूर होता है।  नित़्य इसका सेवन करें, निरोगी रहे।

☘ *केन्सर* ☘
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👉 किसी भी प्रकार के केन्सर मे अलसी का काढा सुबह शाम दो बार पिऐ जिससे असाधारण लाभ निश्चीत है।

☘ *पेट की समस्या*☘
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👉 जिन लोगों को बार बार पेट के जुडे रोग होते हैं उनके लिये अलसी रामबाण ईलाज है। अलसी कब्ज, पेट का दर्द आदि में फायदाकारक है।

☘ *बालों का सफेद होना* ☘
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👉 १ व्यक्ति ने मुझे बताया कि उसने मेरे बताने के अनुसार ३ महिने अलसी का काढा पीया तो उसके सफेद बाल भी धीरे धीरे काले होने लगे।

☘ *सुस्ति, आलस, कमजोरी* ☘
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👉 अलसी का काढा पीने से सुस्ती, थकान, कमजोरी दूर होती है।

☘ *किसी भी प्रकार की गांठ* ☘
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👉 सुबह शाम दो समय अलसी का काढा बनाकर पीने से शरीर में होने वाली किसी भी प्रकार की गांठ ठीक हो जाती है।

☘ *श्वास - दमा कफ, ऐलजीँ* ☘
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👉 अलसी का काढा रोज सुबह शाम २ बार लेने से श्वास, दमा, कफ, ऐलजीँ के रोग ठीक हो जाते हैं।

☘ *ह्दय की कमजोरी* ☘
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👉 ह्दय से जुड़ी किसी भी समस़्या मे अलसी का काढा रामबाण ईलाज है।

👉 जिन लोगों को ऊपर बताई गई समस़्या में से १ भी तकलीफ है तो आपके पास ईसका रामबाण ईलाज के रुप में अलसी का काढा है। क्रपया आप इसका सेवन करें आैर स्वस्थ रहें।


🍀 कैसे बनायें काढा 🍀
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👉 २ चमच अलसी + 3 ग्लास पानी मिक्स करके उबालें। जब अाधा पानी बचे तब छानकर पियें।


🍀 इस प्रयोग से असंख्य लोगों को बहुत ही लाभ मिला है 🍀 

 अलसी म्हणजे जवस
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Saturday, April 15, 2017

होश चाबी है

🇹🇿 *होश मास्टर चाबी है!*🇹🇿

होश की चाबी ऐसी चाबी है। तुम चाहे काम पर लगाओ तो काम को खोल देती है क्रोध पर लगाओ क्रोध को खोल देती है लोभ पर लगाओ लोभ को खोल देती है; मोह पर लगाओ, मोह को खोल देती है। तालों की फिकर ही नहीं है—मास्टर की है। कोई भी ताला इसके सामने टिकता ही नहीं। वस्तुत: तो ताले में चाबी डल ही नहीं पाती, तुम चाबी पास लाओ और ताला खुला।
यह चमत्कारी सूत्र है। इससे महान कोई सूत्र नहीं। इससे तुम बचते हो और बाकी तुम सब तरकीबें करते हो, जो कोई भी काम में आने वाली नहीं हैं। तुम्हारी नाव में हजार छेद हैं। एक छेद बंद करते हो तब तक दूसरे छेदों से पानी भर रहा है। तुम क्रोध से जूझते हो, तब तक काम पैदा हो रहा है।

सूत्र हैं, कर्म के प्रति जागो। पहला सूत्र। जब कर्म के प्रति होश सध जाए तो फिर जागो कर्ता के प्रति। होश के दीए को जरा भीतर मोड़ो। जब कर्ता के प्रति दीया साफ—साफ रोशनी देने लगे, तो अब उसके प्रति जागो जो जागा हुआ है—साक्षी के प्रति। अब जागरण के प्रति जागो। अब चैतन्य के प्रति जागो। वही तुम्हें परमात्मा तक ले चलेगा।

ऐसा समझो, साधारण आदमी सोया हुआ है। साधक संसार के प्रति जागता है, कर्म के प्रति जागता है। अभी भी बाहर है, लेकिन अब जागा हुआ बाहर है। साधारण आदमी सोया हुआ बाहर है। धर्म की यात्रा पर चल पड़ा व्यक्ति बाहर है, लेकिन जागा हुआ बाहर है।
फिर जागने की इसी प्रक्रिया को अपनी तरफ मोड़ता है। एक दफे जागने की कला आ गयी, कर्म के प्रति, उसी को आदमी कर्ता की तरफ मोड़ देता है। हाथ में रोशनी हो, तो कितनी देर लगती है अपने चेहरे की तरफ मोड़ देने में! बैटरी हाथ में है, मत देखो दरख्त, मत देखो मकान, मोड़ दो अपने चेहरे की तरफ! हाथ में बैटरी होनी चाहिए, रोशनी होनी चाहिए। फिर अपना चेहरा दिखायी पड़ने लगा।
साधारण व्यक्ति संसार में सोया हुआ है; साधक संसार में जागा हुआ है; सिद्ध भीतर की तरफ मुड़ गया, अंतर्मुखी हो गया, अपने प्रति जागा हुआ है। अब बाहर नहीं है, अब भीतर है और जागा हुआ है। और महासिद्ध, जिसको बुद्ध ने महापरिनिर्वाण कहा है, वह जागने के प्रति भी जाग गया। अब न बाहर है न भीतर, बाहर—भीतर का फासला भी गया। जागरण की प्रक्रिया दोनों के पार है।

          🌼 *ओशो*🌼
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Sunday, April 9, 2017

क्रोध के दो मिनट

*😡क्रोध के दो मिनट😡*
एक युवक ने विवाह के दो साल बाद
परदेस जाकर व्यापार करने की
इच्छा पिता से कही ।
पिता ने स्वीकृति दी तो वह अपनी गर्भवती
पत्नी को माँ-बाप के जिम्मे छोड़कर व्यापार
करने चला गया ।
परदेश में मेहनत से बहुत धन कमाया और
वह धनी सेठ बन गया ।
सत्रह वर्ष धन कमाने में बीत गए तो सन्तुष्टि हुई
और वापस घर लौटने की इच्छा हुई ।
पत्नी को पत्र लिखकर आने की सूचना दी
और जहाज में बैठ गया ।
उसे जहाज में एक व्यक्ति मिला जो दुखी
मन से बैठा था ।
सेठ ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो
उसने बताया कि
इस देश में ज्ञान की कोई कद्र नही है ।
मैं यहाँ ज्ञान के सूत्र बेचने आया था पर
कोई लेने को तैयार नहीं है ।
सेठ ने सोचा 'इस देश में मैने बहुत धन कमाया है,
और यह मेरी कर्मभूमि है,
इसका मान रखना चाहिए !'
उसने ज्ञान के सूत्र खरीदने की इच्छा जताई ।
उस व्यक्ति ने कहा-
मेरे हर ज्ञान सूत्र की कीमत 500 स्वर्ण मुद्राएं है ।
सेठ को सौदा तो महंगा लग रहा था..
लेकिन कर्मभूमि का मान रखने के लिए
500 स्वर्ण मुद्राएं दे दी ।
व्यक्ति ने ज्ञान का पहला सूत्र दिया-
कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट
रूककर सोच लेना ।
सेठ ने सूत्र अपनी किताब में लिख लिया ।

कई दिनों की यात्रा के बाद रात्रि के समय
सेठ अपने नगर को पहुँचा ।
उसने सोचा इतने सालों बाद घर लौटा हूँ तो
क्यों न चुपके से बिना खबर दिए सीधे
पत्नी के पास पहुँच कर उसे आश्चर्य उपहार दूँ ।

घर के द्वारपालों को मौन रहने का इशारा
करके सीधे अपने पत्नी के कक्ष में गया
तो वहाँ का नजारा देखकर उसके पांवों के
नीचे की जमीन खिसक गई ।
पलंग पर उसकी पत्नी के पास एक
युवक सोया हुआ था ।

अत्यंत क्रोध में सोचने लगा कि
मैं परदेस में भी इसकी चिंता करता रहा और
ये यहां अन्य पुरुष के साथ है ।
दोनों को जिन्दा नही छोड़ूगाँ ।
क्रोध में तलवार निकाल ली ।

वार करने ही जा रहा था कि उतने में ही
उसे 500 स्वर्ण मुद्राओं से प्राप्त ज्ञान सूत्र
याद आया-
कि कोई भी कार्य करने से
पहले दो मिनट सोच लेना ।
सोचने के लिए रूका ।
तलवार पीछे खींची तो एक बर्तन से टकरा गई ।

बर्तन गिरा तो पत्नी की नींद खुल गई ।
जैसे ही उसकी नजर अपने पति पर पड़ी
वह ख़ुश हो गई और बोली-
आपके बिना जीवन सूना सूना था ।
इन्तजार में इतने वर्ष कैसे निकाले
यह मैं ही जानती हूँ ।

सेठ तो पलंग पर सोए पुरुष को
देखकर कुपित था ।
पत्नी ने युवक को उठाने के लिए कहा- बेटा जाग ।
तेरे पिता आए हैं ।
युवक उठकर जैसे ही पिता को प्रणाम
करने झुका माथे की पगड़ी गिर गई ।
उसके लम्बे बाल बिखर गए ।

सेठ की पत्नी ने कहा- स्वामी ये आपकी बेटी है ।
पिता के बिना इसके मान को कोई आंच न आए
इसलिए मैंने इसे बचपन से ही पुत्र के समान ही
पालन पोषण और संस्कार दिए हैं ।

यह सुनकर सेठ की आँखों से
अश्रुधारा बह निकली ।
पत्नी और बेटी को गले लगाकर
सोचने लगा कि यदि
आज मैने उस ज्ञानसूत्र को नहीं अपनाया होता
तो जल्दबाजी में कितना अनर्थ हो जाता ।
मेरे ही हाथों मेरा निर्दोष परिवार खत्म हो जाता ।

ज्ञान का यह सूत्र उस दिन तो मुझे महंगा
लग रहा था लेकिन ऐसे सूत्र के लिए तो
500 स्वर्ण मुद्राएं बहुत कम हैं ।
'ज्ञान तो अनमोल है '

इस कहानी का सार यह है कि
जीवन के दो मिनट जो दुःखों से बचाकर
सुख की बरसात कर सकते हैं ।
वे हैं - *'क्रोध के दो मिनट'*

इस कहानी को शेयर जरूर  करें 
क्योंकि आपका एक शेयर किसी व्यक्ति को उसके क्रोध पर अंकुश रखने के लिए 
प्रेरित कर सकता है ।
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Wednesday, April 5, 2017

મોબાઈલ ફોનને લગતી સામાન્ય શિસ્ત

મોબાઈલ ફોનને લગતી સામાન્ય શિસ્ત :-

૧. રીંગટોન પોતાને સંભળાય એટલો જ રાખવો.
૨. જાહેર માં જોરશોર થી મોબાઈલ પર વાતો ન કરવી.
૩. કોઈ શ્રધાંજલિ સભામાં ગયા હોઈએ તો થોડી વાર માટે મોબાઈલ ને સાઈલેંટ કે બંધ કરી શકાય છે.
૪. તમારું જીવન માત્ર તમારું જ નહિ, પરિવાર નું, સમાજ નું તથા રાષ્ટ્ર નું છે. વાહન ચલાવતી વખતે મોબાઈલનો ઉપયોગ કરી જીવનને જોખમ ઉભું ના કરો. જાહેર રસ્તે ચાલતા ચાલતા મોબાઈલ પરથી વાતો ન કરો.
૫. હોસ્પિટલ્સ માં મોબાઈલનો ઉપયોગ ટાળવો.
૬. અગત્યની કોઈ મીટીંગ હોય કે પરિવારના સૌ ભેગા થયા હોય ત્યારે મોબાઈલ થી રમવા ની જગ્યાએ સર્વ વડીલોથી, સંબંધીઓથી વાતચીત કરો.
૭. વધુ પડતું ચેટીંગ ના કરો, આખરે તમ્રે જરૂર પડશે તો પરિવાર તેમજ અમુક ખાસ મિત્રો જ કામે આવશે.

* આમાં બીજા સૂચનો પણ ઉમેરી શકાય.
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Saturday, April 1, 2017

वृक्षों की उपयोगिता

वृक्षों की उपयोगिता
पाठकों, ये तो आप सभी जानते हो कि वृक्ष हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी होता है। जहाँ वृक्ष होते हैँ वहाँ का प्राकृतिक वातावरण अलग ही होता है। वृक्ष होने पर वातावरण शुद्ध होता है। ये हमारे द्वारा छोङी गई कार्बन-डाई-ऑक्साईड गैस को ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन गैस छोङते हैं। सोचो, अगर वृक्ष ना हो तो हमारे द्वारा छोङी गई कार्बन-डाई-ऑक्साईड को कौन ग्रहण करेगा? पूरे वातावरण में जब कार्बन-डाइ-ऑक्साइड फैल जाएगी तो हमारे लिए सांस लेना मुश्किल हो जाएगा और हम मर जाएँगे। मानसून भी वृक्षों पर ही निर्भर करता है। जहाँ ज्यादा मात्रा में वृक्ष होते हैं वहाँ बरसात भी ज्यादा होती है और जहाँ कम मात्रा मेँ वृक्ष होते हैं वहाँ बरसात भी कम होती है। वृक्षों से बहुत सी जीवनोपयोगी वस्तुएँ मिलती हैं, जैसे – इमारती लकङी, जलावन, चारा, फर्निचर, फल, औषधि, छाया आदि। वृक्षों से ही पर्यावरण का निर्माण होता है। पहले हर गाँव के आस पास जंगल होता था और उसी जंगल को बचाने के लिए बहुत मशक्कत करनी पङती है। जिनके कंधों के ऊपर जंगलों को बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है वे ही जँगलों को कटवाने में सहायक हो रहे हैँ।
जंगलों की कटाई करके वहाँ उद्योग धन्धे लगाये जा रहे हैं, खदानें खोदी जा रही हैं, रेलमार्ग व सङक मार्ग विकसित किए जा रहे हैं। ज्यादा खेती योग्य भूमि बनाने के लिए वृक्षों की कटाई की जा रही है। जलावन व फर्निचर के लिए अन्धाधुंध वृक्ष काटे जा रहे हैं लेकिन उनके बदले कोई भी एक वृक्ष लगाने को तैयार नहीं है। किसी को मारना बहुत आसान होता है पर किसी पालना बहुत मुश्किल होता है, इसीलिए लोग वृक्षों को काट तो लेते हैं पर उसकी जगह एक वृक्ष लगा नहीं सकते।
आज शहरों में जिस तरह से निर्माण कार्य चल रहा है उससे प्रकृति को नुकसान ही हो रहा है। आधुनिक विकास की नींव प्रकृति के विनाश पर ही रखी जाती है। बङी-बङी इमारतें बनाने के लिए खेती की जमीन का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे वहाँ खङे पेङ-पौधे भी काटे जा रहे हैं।
अब शहरों में लोग अपने-अपने घरों में गमलों में छोटे पौधे लगा रहे हैं। लेकिन इन छोटे पौधों से क्या होता है। छोटे पौधे सिर्फ सजावट कर सकते हैं पर आपके स्वास्थ्य की रक्षा नहीं कर सकते। आज आम शहरियों में बङी बङी बिमारियाँ घर कर गई हैं जो पर्यावरणीय नुकसान के कारण ही है। जब हमें स्वच्छ प्राण वायु नहीं मिलेगी तो बिमारी तो लगेगी ही।
बरसों पहले राजस्थान के खेजङली गाँव में पेङों को ठेकेदारों से बचाने के लिए गाँव वालों नें पेङों के साथ लिपटकर अपनी कुर्बानी दी थी। आज सिर्फ वही विश्नोई समाज पेङों के संरक्षण की बात करता है, बाकि को इससे कोई मतलब नहीं है। पेङ कटे या बचे पर उनका विकास होना चाहिए।
हमारे प्राचीन मनीषियों नें भी पेङों के संरक्षण की पुरजोर वकालत की है। हमारे प्राचीन विद्वान इस बात को जानते थे कि वृक्षों के बिना जीवन संभव नहीं है। तभी तो उन्होंने हमारे जीवन में हर व्रत या पर्वों को वृक्षों से जोङा है।
वृक्ष के महत्त्व को बताते हुए मत्स्यमहापुराण में एक कथा आती है। जब शिव-पार्वती का विवाह हुआ था तब बहुत दिनों तक शिव-पार्वती का समागम नहीं होने के कारण पार्वती जी को कोई सन्तान नहीं हुई। इस कारण माता पार्वती तरह-तरह के बच्चों के खिलौने बनाकर खेला करती थी। पहले उन्होंने गजमुख की आकृति वाले बच्चे का निर्माण अपने शरीर के मैल से किया। फिर इसमें प्राण डालकर ब्रह्मा जी नें इसे गजानन या गणेश का नाम दिया। फिर उन्होंने वृक्ष के पत्तों को पीसकर उसका एक खिलोना बनाकर उससे खेलने लगी तो ब्रह्म ऋषियों नें आकर कहा कि-'हे माता! आप ये कर रही हैं? आपको तारकासुर का वध करने के लिए बलशाली बच्चा उत्पन्न करना था और आप यहाँ खिलौने बनाकर खेल रही हैं।'
तब पार्वती जी नें उनसे कहा कि –

एवं निरुदके देशे यः कूपं कारयेद् बुधः।
बिन्दौ बिन्दौ च तोयस्य वसेत् संवत्सरं दिवि।। (511)
दशकूपसमा वापी दशवापीसमो ह्रदः।
दशह्रदसमः पुत्रो दशपुत्रो समो द्रुमः।।
एषैव मम् मर्यादा नियता लोक भावनी।। (512)

अर्थात् – 'हे विप्रवरों। इस प्रकार के जल रहित प्रदेश (कैलाश) में जो बुद्धिमान पुरुष कुआँ बनवाता है, वह कुएँ के जल के एक-एक बूँद के बराबर वर्षों तक निवास करता है। इस प्रकार दस कुएँ के समान एक बावङी, दस बावङी के सदृश एक सरोवर, दस सरोवर की तुलना में एक पुत्र और दस पुत्रों की तुलना में एक वृक्ष माना गया है। यही लोकों का कल्याण करने वाली मर्यादा है, जिसे मैं निर्धारित कर रही हूँ। (मत्स्यपुराण-अध्याय 152, श्लोक 511 व 512)

इस प्रकार एक वृक्ष को दस पुत्रों के समान बताया गया है। यानि जितना पुण्य दस पुत्रों को उत्पन्न करने पर होता है उतना ही पुण्य एक वृक्ष लगाने पर होता है। 
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ચિત્ર

પદાર્થચિત્ર ડોલ, તપેલી, ગ્લાસ દરેક વિદ્યાર્થીએ આ ચિત્ર દોરવું. ડાઉનલોડ

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