७,अंकुर सोसायटी, अहमदाबाद से सुनील प्रजापति अपने मित्र हरेश प्रजापति को हिंदी का महत्व बताते हुए पत्र लिखता है।
लेटर प्रतीकात्मक ( फोटो कॉपीराइट रहित ) |
७, अंकुर सोसायटी,
अहमदाबाद।
दिनांक ७/९/२०२२
प्रिय मित्र हरेश,
नमस्कार।
तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर दुख हुआ कि हिंदी का प्रमाणपत्र न होने की वजह से नौकरी में तुम्हें प्रमोशन नहीं मिला। मेरे दोस्त, हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। हम सभी को हिंदी में बोलना व लिखना आना चाहिए। हम सभी को हिंदी सीखनी चाहिए। पूरे राष्ट्र को जोड़ने की शक्ति हिंदी में है। जब हम अपने राज्य में होते हैं तब तो हमारी मातृभाषा से काम चल जाता है लेकिन जब हम अन्य राज्य में जाते हैं तो उस राज्य की भाषा हम बोल नहीं पाते, अतः बातचीत में समस्या उत्पन्न होती है। प्रायः भारत में ज्यादातर लोग हिंदी को भलिभांति बोल व समझ सकते हैं। संपूर्ण देश को जोड़ सके ऐसी भाषा हिंदी ही है क्योंकि हिंदी लोगों को जोड़ने का काम करती है। हिंदी का जन्म देवभाषा संस्कृत से हुआ है अतः यह हमारी अपनी भाषा है, कोई विदेशी भाषा नही है।
मेरे मित्र, तुम्हें चाहिए कि किसी पाठशाला में जाकर तुम राष्ट्रभाषा हिंदी की तैयारी करो और उसकी परीक्षा दो या कक्षा 10 की बोर्ड की परीक्षा में हिंदी की परीक्षा दो। मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम अवश्य सफलता प्राप्त करोगे। आशा करता हूं की घर में सभी मजे में होंगे। छोटी मुन्नी को प्यार।
तुम्हारा मित्र,
सुनील प्रजापति
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