वर्षाऋतु
जिस तरह वसंत ऋतु को 'ऋतुओं का राजा' कहा जाता है ठीक वैसे ही वर्षा ऋतु को 'ऋतुओं की रानी' कहा जाता है। हमारे देश की छ ऋतुओं में से मेरी प्रिय ऋतु वर्षा ऋतु ही है। ग्रीष्म की प्रचंड गर्मी के बाद जून महीने में वर्षा का आगमन होता है। वर्षा सबके लिए गर्मी से राहत लेकर आती है। वर्षा आने से पर्यावरण में गर्मी दूर हो जाती है और वातावरण में ठंडक प्रसर जाती है। प्राकृतिक संसाधन जैसे तालाब,नदियां,कुए,सरोवर आदि पानी से भर जाते हैं। वर्षा ऋतु शुरू होते ही प्रकृति नाच उठती है। प्रकृति में चारों ओर हरियाली छा जाती है पेड़ पौधे और भी हरे और शानदार हो जाते हैं। सप्तरंगी मेघधनुष्य आकाश की शोभा बढ़ाते हैं। जानवर एवं पक्षी आनंदित हो जाते हैं। पशुओं को खाने के लिए हरा घास एवं पीने का पानी आसानी से हर जगह मिल जाता है। मोर पंख फैलाकर नाचने लगते हैं। मेंढक रात भर ड्राउं ड्राउं करते रहते हैं। बारिश में बच्चे भीगने का मजा लेते हैं। नवजवान लोग बाहर घूमने टहलने निकलते हैं और मौसम का लुफ्त उठाते हैं। बड़े बुजुर्ग घर में पकोड़े या समोसे को खाकर आनंद करते हैं। फिल्मों में भी बारिश के सुहाने मौसम में कई गीत फिल्माए गए हैं। वर्षा का रूद्र रूप भी कभी-कभी देखने को मिलता है जब अतिशय बरसात होती है। उसे अतिवृष्टि कहते हैं। अतिवृष्टि के रहते बाढ़ आती है जिससे बहुत जान माल की हानि होती है। बाढ़ के कारण खेतों में खड़ी फसलें बहुत जाती है, पशु मारे जाते हैं; व कच्चे मकान ढह जाते हैं। वर्षा ऋतु में जीव जंतु ज्यादा पनपते हैं जिससे बीमारियां भी फैलती है। इतने नुकसान के बावजूद बारिश से होने वाले गेरलाभ की अपेक्षा लाभ ज्यादा होता है। हमारा देश खेती प्रधान देश है। हमारी खेती बारिश पर ही निर्भर है। बारिश की वजह से खेती में अच्छी फसल तथा धंधा रोजगार में वृद्धि होती है तथा देश की आर्थिक प्रगति होती है। सारांशतः वर्षा ऋतु हमारे लिए जीवनदायिनी है। वर्षा का जल अमृत समान है। वर्षा ऋतु हमारे लिए परम वरदान है।
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